बाज का संघर्ष(struggling life an Eagle)


दोस्तों हमने जिदंगी मे कभी ना कभी बाज को देखा होगा और बाज के बारे में बहुत सारी बातें और कहानी सुनी होगी|हमारे समाज में बाज को बहुत सममान देते हैं| हमारे वेदों मे भी इनको बडे़ आदर के साथ वणन किया गया है| पछीं ओ के राजा बाज एक बहुत बडे़ आकार में और दूर आसमान में उडने के लिए प्रसिद्ध है| एक बार उडते हुए किसी भी शिकार को देख लिया तो 10 में से 9 बार उसका शिकार करलेते है|बाजो की औसतनं आयु 70 साल होती है, उचे पहाडों पर घोसला बनाते हैं| और शिकार तो ये किसी का भी करते हैं|

             
   
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  आज जो बातें और कहानी बाज के बारे में बताने जा रहा हूँ, वो उसके दूसरे जन्म के बराबर है|बाजो की आयु 70 साल होती है, और इन वषाॆ में बाज अपनी नुकीली चोंच, पंजो से और अपने विशाल पंखो से अनगिनत हमले और शिकार  करता है|पर इसके लिए उसे एक कीमत चुकानी पड़ती है, बाज जब 40 साल की उम्र में पहुचता है, तो उसकी नुकीली चोंच मुड जाती है, उसके नाखून कमजोर हो जाते हैं|उसके पंख सीने से चिपक जाते हैं, जिससे वो धीरे धीरे शिकार नहीं कर पाता है|अब बाज के पास दो रास्ते होतें है, इस परेशानी से निकलने का | पहला की जैसे चल रहा है चलने दे और जल्दी ही अपनी जान गवां दे | दूसरा रास्ता बहुत तकलीफ देने वाला है और पता है बाज दूसरा रास्ता चुनता है|
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            यह दूसरा रास्ता उसके लिए किसी दूसरे जन्म से कम नहीं होता है| इस रास्ते के लिए बाज एक बहुत उचीं पहाड़ी चुनता है, और पहाड़ पर वो अपना घोसला बना ता है, फिर अपनी चोंच को पथर पर मार मार कर तोड़ देता है, खून और दर्द से कराता है|उसी तरह पथर पर रगड़कर अपने नाखुन भी तोड़ देता है, कुछ महीनो में फिर से नुकीली चोंच और चांकू से भी तेज नाखुन आ जाते है|चोंच और नाखुन आने के बाद वो अपने पखों को खिच खिचकर खूद निकल देता है| पूरे 6 महीने के बाद अब बाज फिर से नुकीली चोंच, नाखुन और विशाल पखों के साथ तैयार हो जाता है, इस असहनीय दर्द के बाद उसकी आयु 30 साल और बढ जाती है और बाज फिर एक बार उसी रफ्तार से और शान से अपनी जिन्दगी जिता है|
          दोस्तों हमे बाज की इस कहानी से सीख लेनी चाहिए, जब भी हमारे ऊपर कोई भी संकट आता है बिना उसका सामना किये हम भगवान के भरोसे बैठ जाते हैं, जो नसीब में होगा वो मिलेगा| हम कोशिश भी नहीं करते हैं कि हम उस संकट से निकलने का रास्ता खुद खोंजे|हम अपने हाथों की लकीरों के भरोसे बैठ जाते हैं पर हम ये नहीं देखते की भगवान ने भी लकीरों के पहले उगलियां दी है, भगवान ने भी लकीरों से पहले मेहनत को जगह दी है|इसलिए हमेशा मेहनत करते जाइये आपको आपकी मंजिल अपने आप मिल जाएगी|और एक बात हमेशा याद रखिये खतरा लिजीए जिदंगी मे यही आपको मजबूत बनाती है|

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Friends, we must have seen the eagle sometime in our life and heard a lot of stories  about the eagle. In our society, we give great respect to the eagle.  In our Vedas, they have also been described with great respect.  Eagle the king of bird is famous for flying in the far sky.  Once Eagle see any prey while flying, then it is preyed 9 times out of 10. The average age of Eagle is 70 years, making nest on the higher mountains.  And they hunt anyone either birds animals.

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 The things and story I am going to tell about the eagle today is equivalent to that of its second birth. The eagle is 70 years old, and in these years the eagle with its pointed beak, claw, and its huge wings, has countless attacks and prey.  He does. But for this he has to pay a price, when the eagle reaches the age of 40, his pointed beak turns, his nails become weak. His wings stick to the chest, so that he is patient.  Hunting does not | is now positioned two ways to hawk, out of this trouble |  First, let it go as it is, and soon lose his life.  The second path is very painful and know that the eagle chooses the second path.

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 This second path is no less for him than any other birth.  For this path, the eagle chooses a very high hill, and on the mountain he makes his own nest, then smashes his beak on the stone, breaks it with blood and pain.  Breaks, again in a few months, the sharp beak and knuckle come out even faster than the beak. After the beak and nail, he ends up tearing his legs and tearing himself out.  After a full 6 months, now the eagle is ready again with pointed beak, nails and huge ankles, after this unbearable pain, her age increases by 30 years and the eagle once again lives at the same speed and grace.

 Friends, we should learn from this story of the eagle, whenever any crisis comes upon us, without facing it, we sit in the trust of God, we will get what is destined.  We do not even try to find a way to get out of that crisis. We sit on the lines of our hands, but we do not see that God has given a finger before the lines, God has also worked before the lines  You have been given space. So always keep working hard, you will get your floor automatically. And remember one thing always, this danger makes you strong in life.

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